तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
“Pains will likely be eradicated, all afflictions will likely be long gone of who remembers Hanuman the mighty brave 1.”
नाली के कीड़े से ब्राह्मण कुमार तक - प्रेरक कहानी
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Many 14th-century and later on Hanuman visuals are present in the ruins with the Hindu Vijayanagara Empire.[35] In Valmiki's Ramayana, approximated to have been composed prior to or in regarding the 3rd century BCE,[36] Hanuman is an important, Resourceful determine as a simian helper and messenger for Rama. It is actually, however, within the late medieval period that his profile evolves into a a lot more central position and dominance as being the exemplary spiritual devotee, significantly with the favored vernacular textual content Ramcharitmanas by Tulsidas (~ 1575 CE).
[Maha=wonderful;Beera=Courageous; Vikram=terrific deeds; bajra=diamond; ang=body elements; kumati=undesirable intellect; nivara=heal, clean up, damage; sumati=fantastic intelligence; ke=of; sangi=companion ]
श्री हनुमान जी की महिमा अनिर्वचनीय है। अतः वाणी के द्वारा उसका वर्णन करना सम्भव नहीं।
भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।
व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।
The group needs to analyze the island, but none can swim or jump to date (it had been widespread for such supernatural powers to generally be frequent amongst figures in these epics). Nonetheless, Jambavan is aware of from prior activities that Hanuman made use of to have the ability to do this type of feat with ease and lifts his curse.[fifty two]
व्याख्या– राजपद पर सुकण्ठ की ही स्थिति है और उसका ही कण्ठ सुकण्ठ है जिसके कण्ठपर सदैव श्री राम–नाम का वास हो। यह कार्य श्री हनुमान जी की कृपा से ही सम्भव है।
सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।
भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।
व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के check here सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।